Monday 1 April 2013

ख़ुमार-ए-इश्क के अहसास से चली आओ


ख़ुमार-ए-इश्क के अहसास से चली आओ,
मेरे दिल को भी सनम साथ ले चली आओ।
तुम्हारी यादों के मंज़र में घिर गया हूँ मैं,
मिटा के अब तुम ये फ़ासले चली आओ।।

घर अपना तो इरादों का बड़ा सच्चा है,
अरमां दिल का न मेरे पास सनम कच्चा है।
घर से निकलो कभी संवर के तुम मेरी ख़ातिर,
पायल छनकाती हुई पास तुम चली आओ।।

तुम्हारी फितरतों के हम भी सनम क़ायल हैं,
तुम्हारे नैनों की शरारतों से घायल हैं।
तुम्हारे बिन तो अब मैं जानेमन अधूरा हूँ,
कर दो पूरा मुझे तुम बस अभी चली आओ।।

--------Niraj Shrivastava

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